Friday, March 4, 2011

महमूद दरवेश : एक कविता, एक गद्यांश








कविता 
जैसे खुश रहा होऊँ मैं 
जैसे खुश रहा होऊँ मैं, यूं आया वापस.
घंटी बजाई कई बार दरवाजे पर, इंतज़ार किया...
देर हो गई थी शायद. किसी ने नहीं दिया जवाब.
गलियारे में कोई आवाज़ भी नहीं. 
फिर याद आया अचानक, चाभियाँ तो हैं मेरे ही पास.
माफी मांगी खुद से - 
        माफ़ करना, तुम्हें भूल गया था मैं. अन्दर चले जाओ.
अन्दर गए हम... मैं ही मेहमान, मैं ही मेजबान 
अपने ही घर में. सबकुछ देखा मैनें उस खाली जगह में,
बहुत तलाशा मगर नहीं पाया खुद का कोई सुराग, 
शायद... शायद मैं था ही नहीं वहां. 
अपना अक्स नहीं मिला आईने में मुझे.
तो सोचा मैनें, कहाँ हूँ मैं आखिर ?
रोया खुद को बेखुदी से निकालने के लिए,
नहीं निकाल सका मगर. टूट चुका था मैं,
फर्श पर उठती-गिरती एक आवाज़.
पूछा, वापस ही क्यूं आया मैं ?  
और माफी मांगी खुद से - तुम्हें भूल गया था मैं,
चले जाओ ! लेकिन जा न सका मैं.
अपने सोने के कमरे तक गया,
और दौड़ता हुआ आया एक ख्वाब मुझ तक 
और गले से लगा लिया, पूछते हुए कि 
        क्या तुम बदल गए ?
हाँ, मैं बदल गया हूँ, मैंने जवाब दिया. 
एक सूने चौराहे की सड़क पर कार से दबकर मरने से 
बेहतर है 
मरना अपने घर में.   
                         * *
गद्यांश 


मैं एक ऎसी सड़क से गुजर रहा हूँ, जिस पर, और कोई नहीं चल रहा है. मुझे याद है पहले भी, मैं ऎसी ही किसी सड़क पर चला था जिससे और कोई नहीं गुजरा था. और मुझे याद है कि किसी ने, जो मेरे साथ नहीं था, मुझसे कहा था : 
- बंद करो यह बातचीत, और मेरे साथ चलो.
- किधर ?
- उस आदमी से मिलने.
- वह आदमी क्या कर रहा है ?
- घर जा रहा है. 
- मगर वह आगे चलता है, फिर पीछे. 
- यही तरीका है उसके चलने का. 
-  वह चल नहीं रहा है. वह डगमगा रहा है. लहरा रहा है. 
- गौर से देखो उसे. उसके क़दमों को गिनो : एक, दो, चार, सात, नौ आगे की तरफ. एक दो तीन, सात, आठ पीछे की तरफ. 
- इसका क्या मतलब ?
- वह चल रहा है. उसे घर पहुँचने का बस यही, एक ही तरीका मालूम है : दस कदम आगे और नौ पीछे. यानी वह एक कदम आगे बढ़ जाता है. 
- क्या होगा अगर कहीं उसका दिमाग भटक जाए, और वह गिनने में कोई गलती कर दे ? 
- ऎसी दशा में वह घर नहीं पहुँच पाएगा. 
- इस सबसे तुम कुछ समझाना चाहते हो क्या ?
- नहीं. कुछ नहीं. 
                         * *

(अनुवाद : मनोज पटेल)
Mahmoud Darwish 

3 comments:

  1. अद्भुत कविता और उससे भी ज्यादा अनोखा गद्यांश!

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  2. गद्यांश को पढ़कर एक इरानी फिल्म याद आ गयी जिसमे बच्चा अपने उस दोस्त को किताब लौटाने घर से निकलता है ....जिसका घर उसे मालूम नहीं !

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