Monday, April 18, 2011

येहूदा आमिखाई की तीन कविताएँ



अँधेरे में रहने वाले लोग 

अँधेरे में रहने वाले लोग हमेशा देख लेते हैं 
रोशनी में रहने वाले लोगों को. यह एक पुराना सच है, जबसे सूरज और रात,
बनाए गए, लोग और अन्धेरा, और बिजली बनाई गई.
एक ऐसा सच जो उन लोगों द्वारा काम में लाया गया, 
जो आसान हत्याओं के लिए घात लगाकर हमले करके युद्ध करते हैं,
एक सच जो नाखुश लोगों को, खुश लोगों को देखने के काबिल बनाता है,
और एकाकी लोगों को -- किसी रोशन कमरे में प्रेम में पड़े लोगों को 
देखने के काबिल बनाता है. 

फिर भी सच्ची ज़िंदगी अँधेरे और रोशनी के बीच जी जाती है : 
"मैनें दरवाज़े में ताला जड़ दिया," तुमने कहा था,
एक महत्वपूर्ण वाक्य, नियति से भरा.
मुझे अब भी याद हैं वे शब्द,
लेकिन यह भूल गया कि वे दरवाज़े के किस तरफ कहे गए थे,
अन्दर या बाहर. 

और तुम्हें लिक्खे अपने इकलौते ख़त से 
याद है बस 
अपनी जुबां पे टिकट के गोंद का कड़ुवा स्वाद.      
                    * * *

एक स्त्री के साथ सैर 

जब घंटों पैदल चलने के बाद 
आप अचानक पाते हैं 
कि आपके बगल लम्बे-लम्बे डग भर रही स्त्री की देंह 
नहीं बनी है 
किसी कदमताल या जंग के लिए,

कि भर आती हैं उसकी जांघें 
और उसके कूल्हे हरकत करते हैं किसी थके हुए पिण्ड की तरह,
आप खुशी से भर उठते हैं 
ऎसी दुनिया के लिए 
जहां इस तरह की स्त्रियाँ मौजूद हैं. 
                    * * *

सारे अंतरालों से 

समय के बीच के सारे अंतरालों से,
फौजियों के ओहदों के बीच के सारे अंतरों से,
दीवार की दरारों से,
उन दरवाजों की फांकों से जिन्हें हमने पूरा बंद नहीं किया था,
बाहों से जिन्हें हमने लिपटाया नहीं,
देंह और उस देंह के बीच की दूरी से जिसे हम करीब नहीं ला पाए --
पैदा होता है महान विस्तार,
मैदान, रेगिस्तान,
जहां हमारी आत्मा भटकेगी नाउम्मीद  
जब हम मर जाएंगे.  
                    * * *

(अनुवाद : मनोज पटेल)
Yehuda Amichai poems ka Hindi Anuvad 

1 comment:

  1. बहुत अच्छी कवितायेँ ! मन की अनछुई परतों को खोलती हुई !

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...