Tuesday, August 2, 2011

अडोनिस : पुकार

अडोनिस...










पुकार : अडोनिस 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

मेरे सुबह के प्यार,
आकर मिलो मुझसे उदास खेत में. 
मुझसे सड़क पर मिलो 
जहां सूखे हुए पेड़ 
हमें छुपा लेते थे बच्चों की तरह 
अपनी सूखी छायाओं के तले. 

क्या तुमने देखीं डालियाँ?
क्या तुमने सुनी 
डालियों की पुकार?
उनकी ताजी कोंपलें लफ्ज़ हैं 
जो ताकत देतीं हैं मेरी आँखों को 
इतनी 
जो दरार डाल सकती है पत्थर में भी. 

मिलो, मुझसे मिलो, 
जैसे कि हम पहले से ही तैयार हों 
और आकर खटखटा चुके हों 
अँधेरे के बुने हुए दरवाजे को,
खींच चुके हों परदा,
और खिड़कियों को खोलकर 
वापस लौट चुके हों
डालियों के टेढ़े-मेढ़ेपन की तरफ --
जैसे हमने उड़ेले हों 
अपनी पलकों के किनारों से 
ऐसे ही ख्वाब, ऐसे ही आँसू -- 
जैसे हमने ठिकाना बनाया हो 
डालियों के किसी देश में 
और फैसला किया हो कभी न लौटने का. 
                    :: :: :: 

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