Friday, March 16, 2012

पोर्चिया की सोहबत में हुआरोज़

पोर्चिया पर राबर्तो हुआरोज़ का यह छोटा सा संस्मरण पढ़िए जो उन्होंने पोर्चिया की किताब Voices के फ्रेंच संस्करण के लिए लिखा था:  

 
किसी की सोहबत में होना : राबर्तो हुआरोज़ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

मुझे उनके कुछ शब्द याद हैं जो उन्होंने एक दोपहर ला बोका की सड़कों पर घूमते हुए मुझसे कहे थे. यह ब्यूनस आयर्स के निर्धनतम इलाकों में से एक और उनका पसंदीदा मुहल्ला था, रंग-बिरंगे मकानों, परदेशी माहौल, पास में ही बहती नदी, जहाज़ों के सायरन और पुराने शराबघरों वाला एक इलाका जहां नाविक और गोदी के मजदूर शराब और संगीत के साथ न जाने क्या-क्या याद करने या भुलाने आया करते थे. पोर्चिया अस्पताल से लौट रहे थे, अपने एक पुराने प्यार से मिलकर जो अब बूढ़ी, बीमार और अकेली अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी थी. उन्होंने मुझे वह 'सूक्ति' सुनाई जिसे सुनाकर उन्होंने उस स्त्री को खुश करने की कोशिश की थी: 

किसी की  सोहबत में होना किसी के साथ होना नहीं होता, 
किसी के भीतर होना होता है.  

अचानक मुझे लगा --जैसा कि मुझे अक्सर उनके साथ होने पर महसूस होता था-- कि विवेक अभी पूरी तरह से मृत नहीं हुआ है, और यह कि ब्यूनस आयर्स की उस विस्मृत सी सड़क पर कोई रहस्यमय शक्ति मौजूद है जिसकी वजह से यह दुनिया अभी तक कायम है. 
                                                          :: :: :: 
राबर्तो ह्वार्रोस, राबर्तो हुआर्रोस 

5 comments:

  1. बहुत सुंदर सूक्ति...आभार!

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  2. किसी की सोहबत में होना किसी के साथ होना नहीं होता ,
    किसी के भीतर होना होता है !

    बहुत सुंदर कथन ! आभार इस प्रस्तुति और अनुवाद के लिए !

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  3. बेहत सटीक अल्फाजों में अपने मन की बात कह गया लेखक।

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  4. सुमन केशरीMarch 20, 2012 at 4:36 PM

    मैं संभवतः इसे ऐसे कहूंगी...किसी की सोहबत में होना, उसे अपने भीतर होना महसूस करना है...

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