Wednesday, May 9, 2012

ऊलाव हाउगे : तलवार

ऊलाव ह. हाउगे की एक और कविता...  

 

तलवार : ऊलाव एच. हाउगे 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

काटती है 
तलवार 
निकाले जाने पर, 
कुछ और नहीं 
-- तो हवा को ही. 
     :: :: :: 

2 comments:

  1. क्या बात है

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  2. बहुत खूब ! तलवार का धर्म ही यही है --काटना !

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