Saturday, May 18, 2013

डोरोथिया ग्रासमैन की कविता

डोरोथिया ग्रासमैन की एक कविता... 

मैं समझ गई कुछ गड़बड़ है  :  डोरोथिया ग्रासमैन 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मैं समझ गई कुछ गड़बड़ है 
जिस दिन मैंने कोशिश की 
धूप का एक छोटा सा टुकड़ा उठाने की 
और कोई आकार लेने का अनिच्छुक, 
वह फिसल गया मेरी उँगलियों से. 
बाकी सारी चीजें पूर्ववत ही रहीं -- 
कुर्सियाँ और कालीन 
और सारे कोने-अंतरे 
जहाँ जारी था इंतज़ार. 
             :: :: :: 

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...